शनिवार, 15 मार्च 2008

अपनी बात

मित्रो ,आप सभी को आप का साथी अभिषेक रंजन सिंह का क्रांतिकारी सलाम ।मैंने कभी सोचा भी न था की ख़ुद की जज्बातों को जाहिर करने के लिए ब्लॉग का सहारा लेना पड़ेगा। कल तक मैं अपनी भावनाओं को बयक्क्त करने के लिए कागजो का सहारा लेता था,लेकिन भारतीय जनसंचार संस्थान ,जिसमे मेरी
आत्मा बसती है। यहाँ आने के बाद तमाम नई चीजो से रु- ब-रु हुआ उसमे से एक ब्लॉग लेखन भी था। संस्थान
मे मेरे कई मित्रों ने ब्लॉग लेखन के जरिये अपनी अभिब्यक्ति को नया आयाम दिया। मैंने भी फैसला किया की ख़ुद भी एक ब्लॉग तामीर करना चाहिए। 'संवेदना 'मेरे ब्लॉग का नाम है। यह ब्लॉग साहित्य,पत्रकारिता,कला और संस्कृति को समर्पित है। साथ ही साथ इसमे देश,काल,और परिस्थिति के प्रति भी आग्रह होगा।
अंत मे मैं अपने गुरु आनंद प्रधान,अनिल चमडिया और लाल बहादुर सर के प्रति आभार प्रकट करता हूँ,जिनकी
प्रेरणा से मैं 'दो शब्द' लिख पाया हूँ।